हार्ट ब्लॉकेज के ये लक्षण न करें नजरअंदाज, समय रहते जानें संकेत

जब हृदय को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों (कोरोनरी आर्टरीज) में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थ जमा होने लगते हैं, तो इस स्थिति को ‘हृदय में रुकावट’ या ‘एथेरोस्क्लेरोसिस’ कहा जाता है। यह जमाव धीरे-धीरे रक्त के प्रवाह को बाधित करता है, जिससे हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। समय के साथ यह रुकावट बढ़ने पर हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर यह समस्या धीमी गति से बढ़ती है और शुरुआती लक्षण इतने सामान्य हो सकते हैं कि लोग इन्हें अनदेखा कर देते हैं।

रुकावट के पीछे के प्रमुख कारण
हृदय में रुकावट के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अस्वस्थ जीवनशैली सबसे प्रमुख है। अत्यधिक तेल और वसायुक्त भोजन का सेवन, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी और लगातार तनाव इस समस्या को बढ़ावा देते हैं। इसके अतिरिक्त, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह भी इस स्थिति के मुख्य कारण हैं। पारिवारिक इतिहास (जेनेटिक फैक्टर) भी एक भूमिका निभा सकता है, खासकर यदि परिवार में किसी को पहले हृदय रोग हुआ हो। उम्र बढ़ने के साथ धमनियों का लचीलापन कम हो जाता है, जिससे रुकावट का खतरा बढ़ जाता है। इन कारणों पर समय रहते ध्यान न देने पर यह समस्या गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती है।

हृदय रुकावट के संकेत: इन्हें पहचानना है ज़रूरी
हृदय में रुकावट के लक्षण व्यक्ति की शारीरिक स्थिति और रुकावट की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। शुरुआत में हल्की थकान या सांस फूलने जैसी सामान्य शिकायतें हो सकती हैं, जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे रुकावट बढ़ती है, छाती में दर्द, दबाव या जलन महसूस हो सकती है, खासकर शारीरिक श्रम के दौरान। यह दर्द अक्सर बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल सकता है।

इनके अलावा, थकान, दिल की धड़कन का तेज होना (घबराहट), पसीना आना, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ और अनियमित हृदय गति जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। कुछ व्यक्तियों को सोते समय भी सीने में भारीपन का अनुभव हो सकता है। यदि ऐसे लक्षण बार-बार सामने आते हैं, तो यह हृदय में रुकावट का एक गंभीर संकेत हो सकता है, और ऐसे में तत्काल डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

स्वस्थ हृदय के लिए अपनाएं ये उपाय
हृदय में रुकावट से बचाव के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद ज़रूरी है:
संतुलित आहार: पौष्टिक और संतुलित भोजन का सेवन करें, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल हों।
नियमित व्यायाम: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का मध्यम व्यायाम करें।
बुरी आदतों से दूरी: धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह से छोड़ दें।
नियमित जांच: रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और शुगर के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाएं और उन्हें नियंत्रण में रखें।
तनाव प्रबंधन: तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान या अन्य शांत करने वाली गतिविधियों का अभ्यास करें।
पर्याप्त नींद: रोजाना कम से कम 8 घंटे की गहरी नींद लें।

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